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Showing posts from April, 2018
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                                                                                                 गूगल से साभार चित्र                                                         कुछ समय बीतने पर महाराज आखेट के लिए वन में गए। वहाँ अनेक प्रकार के मृगों भैंसों तथा सूकरों को अपने वाणों से मारते हुए वे गंगाजी के तटपर जा पहुँचे। उस नदी में बहुत थोड़ा जल देखकर वे राजा शान्तनु बड़े आश्चर्य में पड़ गए।             उन्होंने वहाँ नदी के किनारे खेलते हुए एक बालक को महान धनुष को खींचकर बहुत से बाणों को छोड़ते हुए देखा उसे देखकर राजा शांतनु बड़े विस्मित हुए और कुछ भी न जा...
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                                             मित्रों हर धर्म एवं हर समाज    में माता पिता को ईश्वर से  ऊँचा स्थान दिया जाता है ,क्योंकि हमें इस संसार मैं मनुष्य योनि  हमारे माता पिता द्वारा ही प्राप्त होती है। इसलिए हम  अपने माता पिता का यह कर्ज कभी भी नहीं उतार सकते। अगर हम अपने मा.तापिता की खुशी के लिए कोइ कार्य कर सकें जिसमें हमारी सारी खुशियां कुर्बान हों तो भी हमें अपने ऊपर  गर्व होना चाहिए। आज जो कथानक आरंभ हो रहा है उसमें एक पुत्र का अपने पिता की खुशी के लिए किया गया बलिदान इतिहास के पन्नों पर लिख दिया गया।         मित्रों उस नायक का नाम आप आगे खुद जान लेगें इसलिए इस कथानक को पढ़ते रहिये        सूतजी बोले प्रतीप के स्वर्ग चले जाने पर सत्यपराक्रमी राजा  सांतनु व्याघ्र तथा मृगों को मारते हुए मृगया में तत्पर हो गए किसी समय गंगा के किनारे घने वन में विचरण करते हुए रा...
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                                                         गूगल से साभार चित्र           श्री नारायण बोले -हे नारद !अब आप जगदम्बा का अदभुत तथा उत्तम माहात्म्य और अंग के पुत्र मनु ने जिस तरह से श्रेष्ठ राज्य प्राप्त किया था उसे सुनिए              राजा अंग के उत्तम पुत्र चाक्षुष छठें मनु हुए वे सुपुलेह नामक ब्रह्मर्षि की शरण में गए। उनहोंने ऋषि से कहा -शरणागतों की कष्टों को दूर करने वाले हे ब्रह्मर्षि !मैं आपकी शरण में आया हूँ। हे स्वामिन !मुझ सेवक को ऐसी शिक्षा दीजिये जिससे मैं श्री प्राप्त कर सकूं ,पृथ्वी पर मेरा आकण्ठ अधिपत्य हो जाए ,मेरी भुजाओं में अधिक बल आ जाए तथा अस्त्र -शस्त्र के प्रयोग में निपुण तथा समर्थ हो जाऊं ,मेरी संतानें चिरकाल तक जीवित रहें ,मैं उत्तम आयु वाला हो जाऊं तथा आपके उपदेश से अंत में मुझे मोक्ष लाभ हो जाए          ...