Posts

Showing posts from May, 2017
Image
श्री आदिशक्ति की लीला  श्री जबदम्बिका द्वारा आत्म स्वरूपा का वर्णन - स्वयं जगदम्बिका ने अपनी मधुरवाणी में ब्रह्मा , विष्णु , शंकर से कहा -                                                           मैं और  परमब्रह्म  एक ही है। मुझमे और परमब्रह्म   में किंचित मात्रा में भी भेद नहीं है। जो वे है वही मैं हूँ। और जो मैं हूँ वही वे है। बुद्धि के भ्रम में भेद होता है। ब्रह्ममा एक ही केवल संसार की रचना के समय ये द्ववेत रूप प्राप्त होता है। फिर  द्ववेत की भावना होने लगती है। में और ब्रह्मा एक ही है। फिर भी मायारूपी कारण से हमारा प्रतिबिम्ब अलग -अलग झलक रहा है। ब्रहमा जी जगत का निर्माण करने के लिए सृष्टिकाल में भेद दिखता ही है। जब हम दो रूप धारण करके कार्य करने लगते है। तब दृश्य में यह भेद प्रतीत होने लगता है। जब संसार नहीं रहता ,तब मैं न स्त्री हूँ ,न पुरुष पुरुष। संसार रहने पर इस भेद की कल्पना हो जाती है। ...
Image
श्री आदिशक्ति की लीला  श्री विष्णु ने कहा - प्रकृति देवी को नमस्कार है। भगवती विद्यात्री को निरंतर  नमस्कार है। माता मैं जान गया हूँ की यह संसार तुम्हारे भीतर विराजमान है। इस जगत की सृष्टि और संहार तुम्ही से होता है। तुम्हारी ही व्यापक माया इस संसार को सजाती है। तुम्हारे बनाये हुये जितने भुवन है , तुम्हारे इस शक्ति संपन्न नख - दर्पण में हमे इसकी झाँकी मिलती है। देवी हमने इस लोक में दूसरे ही ब्रह्मा , विष्णु और शंकर देखे है। सब में वैसे ही असीम शक्ति थी। हम तीनो तुम्हारे अचिन्त्य प्रभाव से अपरिचित है। देवी इस फैले हुए अनंत ऐश्वर्य को कैसे जाने ? तुम महाविद्या स्वरूपिणी हो मैं बारम्बार तुम्हारे चरणों में मस्तक झुकता हूँ।  श्री शंकर नम्रता पूर्वक स्तुति करने लगे। - देवी विष्णु  तुम्ही से प्रकट हुये हैं।  ब्रह्मा भी तुम्हारे ही बालक हैं , मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम्ही हो। शिवेमाता ! ब्रह्मा , विष्णु और महेश का रूप धारण करने वाली तुम्ही हो। जगत की रचना और संहार का खेल खेलती हो। संपूर्ण संसार की सृष्टि करने में तुम बड़ी चतुर हो माता।  ये ...
Image
श्री आदिशक्ति की लीला  जैसा की देवी भगवत में कहा गया है की जो सर्व चैतन्य स्वरूपा है , जो ब्रह्मविद्या अवं बुद्धि है , उन आदि का मैं ध्यान करता हूँ। वे हमारी बुद्धि को तीव्र बनाने की कृपा करे।  वे आद्या ,परासर्वज्ञा, भगवती , जगदम्बा , भुवनेश्वरी आदि नामो से जानी जाती है। अपनी त्रिगुणात्मिका शक्ति द्वारा सत्य -असत्य स्वरुप जगत की रचना करके उसकी रक्षा करती है। तथा प्रलयकाल में सबका संघार करती है और अकेले ही रमन करती है। वे भगवती , सगुण-निर्गुण ,मुक्ति प्रदान करने वाली और माया रुपनि है। वे सर्वव्यापी है , वे कल्याणमयी है ,वे सबको धारण करने वाली तुरियावस्थापन्ना है।  वे योग से जानी जाती है। श्रुस्ती के समय उन्ही भगवती की सात्विकी ,राजसरी और तामसी शक्तियां स्त्री की आकृति में चमसा महालक्ष्मी , महासरस्वती और महाकाली रूप में प्रकट होती है।  देवी भागवत के अनुसार आदिशक्ति की शक्ति से ही ब्रह्मा , विष्णु , महेश की उत्पत्ति हुई है। ये पूर्ण प्रकृति है। सारी ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति आदिशक्ति की रचना है। कभी इनका नाश नहीं होता। ये देवी परमब्रह्म की इच्छा है। ये ...
Image
श्री आदिशक्ति की लीला  इस संसार की रचना से पहले पृथ्वी पर सिर्फ पानी ही पानी था। जब अदि शक्ति और शिव की इच्छा कुछ नया करने की हुई तब इस ब्रह्माण्ड की रचना आदि शक्ति के द्वारा की गयी।  इस ब्रह्माण्ड में जो प्रथम नाद हुआ वह ओउम था। इसके साथ ही बहुत सी ध्वनियों की नाद हुई इस पृथ्वी पर।  इन  ध्वनियों का विस्तार आगे बताया जायेगा।  (दोस्तों ) इस शब्द का प्रयोग उन सभी पाठको के लिए कर रहा हूँ , जो की इस कथानक को पढ़ेंगे। क्योंकि एक दोस्त के साथ ही हम हर तरह के संवाद को साझा कर  सकते है।  इस  कथानक को शुरू करने की प्रेरणा श्री आदिशक्ति के द्वारा ही दी गयी। दोस्तों इस आधुनिक युग में हम सब इस जीवन में बहुत तेज़ी से भाग  रहे है और इसी चक्कर में हम अपने अतीत से तथा अपने संस्कारों से दूर होते जा रहे है , की हम कौन है ? हमारी उत्पत्ति किस प्रयोजन से की गयी। आखिर श्री सदाशिव और श्री आदिशक्ति की इस ब्रह्माण्ड की रचना का उद्द्येश क्या था ? दोस्तों हम किसी भी देश ,जाती , धरम से हो , हम सब मनुष्य है। इसीलिए हमे इस बात का ध्यान रखना ही होगा की ,...