श्री आदिशक्ति की लीला 


जैसा की देवी भगवत में कहा गया है की जो सर्व चैतन्य स्वरूपा है , जो ब्रह्मविद्या अवं बुद्धि है , उन आदि का मैं ध्यान करता हूँ।
वे हमारी बुद्धि को तीव्र बनाने की कृपा करे। 

वे आद्या ,परासर्वज्ञा, भगवती , जगदम्बा , भुवनेश्वरी आदि नामो से जानी जाती है। अपनी त्रिगुणात्मिका शक्ति द्वारा सत्य -असत्य स्वरुप जगत की रचना करके उसकी रक्षा करती है। तथा प्रलयकाल में सबका संघार करती है और अकेले ही रमन करती है। वे भगवती , सगुण-निर्गुण ,मुक्ति प्रदान करने वाली और माया रुपनि है। वे सर्वव्यापी है , वे कल्याणमयी है ,वे सबको धारण करने वाली तुरियावस्थापन्ना है।  वे योग से जानी जाती है। श्रुस्ती के समय उन्ही भगवती की सात्विकी ,राजसरी और तामसी शक्तियां स्त्री की आकृति में चमसा महालक्ष्मी , महासरस्वती और महाकाली रूप में प्रकट होती है। 

देवी भागवत के अनुसार आदिशक्ति की शक्ति से ही ब्रह्मा , विष्णु , महेश की उत्पत्ति हुई है। ये पूर्ण प्रकृति है। सारी ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति आदिशक्ति की रचना है। कभी इनका नाश नहीं होता। ये देवी परमब्रह्म की इच्छा है। ये नित्य है। ये विश्वेश्वरि , वेदगर्भा तथा शिवा कहलाती है। ये आदि जननी है। ये प्रलय काल में अखिल जगत को समेट लेती है। ये सर्वबीजमयी देवी है। ये मूलप्रकृति है। सदा परम पुरुष के साथ रहती है। ये परम पुरुष दृष्टा है। ये चराचर जगत दृश्य है। उस परम पुरुष की ये आदिशक्ति महामाया सबकी अधिष्ठात्री देवी है। वे ही संपूर्ण संसार की कारण है। ये हम सबकी जननी है। 

देवी भागवत की एक रोचक प्रसंग के अनुसार ब्रह्मा , विष्णु ,महेश को प्रकट करने के बाद,देवी भगवती ने उनको अपने दिव्य भवन में बुलाया और उनको जो अदभुत दृश्य दिखाया, उनका वर्णन स्वयं ब्रह्माजी ने इस प्रकार किया है।-

देवी ने हम तीनो को स्त्री बना दिया , हम उत्तम आभूषणों से आलंकृत रूप वाली स्त्री बन गये। हमारे आष्चर्य का पार न था। हम मनोहर रूप वाली देवी के चरणों के पास बैठ गये। मैंने वहाँ एक अदभुत दृश्य देखा। भगवती भुवनेश्वरी के चरण कमल के समान कोमल थे। उनके नाखून स्वच्छ दर्पण की तरह थे। भगवती के नाखूनों में ही सारा ब्रह्माण्ड ,ब्रह्मा,विष्णु ,रूद्र ,वायु, अग्नि ,यमराज ,सूर्य ,चन्द्रमा,वरुण,कुबेर ,इंद्रा ,पर्वत ,समुद्र ,नदिया ,गन्धर्व ,अपसराएं ,नाग ,किन्नर ,राक्षस ,वैकुण्ठ ,ब्रह्मलोक ,कैलाश ये सब के सब दिखाई दिये। ब्रह्माजी बोले ,"मैं ये देखकर आश्चर्य में पड़ गया और हम तीनो ने भगवती भुवनेश्वरी की स्तुति आरम्भ कर दी "।  
 

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