श्री आदिशक्ति की लीला 

इस संसार की रचना से पहले पृथ्वी पर सिर्फ पानी ही पानी था। जब अदि शक्ति और शिव की इच्छा कुछ नया करने की हुई तब इस ब्रह्माण्ड की रचना आदि शक्ति के द्वारा की गयी। 

इस ब्रह्माण्ड में जो प्रथम नाद हुआ वह ओउम था। इसके साथ ही बहुत सी ध्वनियों की नाद हुई इस पृथ्वी पर।  इन ध्वनियों का विस्तार आगे बताया जायेगा। 

(दोस्तों ) इस शब्द का प्रयोग उन सभी पाठको के लिए कर रहा हूँ , जो की इस कथानक को पढ़ेंगे। क्योंकि एक दोस्त के साथ ही हम हर तरह के संवाद को साझा कर  सकते है। 

इस कथानक को शुरू करने की प्रेरणा श्री आदिशक्ति के द्वारा ही दी गयी। दोस्तों इस आधुनिक युग में हम सब इस जीवन में बहुत तेज़ी से भाग  रहे है और इसी चक्कर में हम अपने अतीत से तथा अपने संस्कारों से दूर होते जा रहे है , की हम कौन है ? हमारी उत्पत्ति किस प्रयोजन से की गयी। आखिर श्री सदाशिव और श्री आदिशक्ति की इस ब्रह्माण्ड की रचना का उद्द्येश क्या था ?

दोस्तों हम किसी भी देश ,जाती , धरम से हो , हम सब मनुष्य है। इसीलिए हमे इस बात का ध्यान रखना ही होगा की ,मनुष्यता से जुड़े रहे। इसीलिए हमे अपने संस्कारों और प्राचीन ग्रंथो से जुड़े रहना होगा। आज के भागमभाग समय में हमारे पास इतना समय नहीं है की हम अपने बच्चों को मोटे - मोटे ग्रंथो को पढ़ने के लिए दे और उनमे सुसंस्कारों  को पैदा कर सके। इस बात को ध्यान में रखकर हमे इस कथानक को लिखने की प्रेरणा हुई। इस कथानक की भाषा की सरलता के लिए हर तरह के शब्दों का प्रयोग किया जायेगा जो की आम भाषा में बोले व लिखे जाते है। इस के द्वारा हम अपने बच्चो  को अपने संस्कारों और प्राचीन ग्रंथो में लिखी हुई जानकारी को सुन्दर -सुन्दर कहानियों के रूप में उन्हें सुना कर अपने अतीत के बारे में और इस पृथ्वी तथा ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और श्री आदिशक्ति की लीला सुना सकेंगे। इस कथानक में लिखी सब बातें हमने अपने नाना - नानी , दादा-दादी व  पूर्वजो द्वारा सुनी तथा ग्रंथो में  पड़ी कहानियां से ली गयी है। तथा उन्ही को अपने शब्दों के द्वारा यहाँ लिखा गया है। इसीलिए किसी त्रुटि के लिए आप लोग हमे क्षमा करेंगे ऐसा हमे पूर्ण विश्वास  है। 

इस जगत की रचना से पहले के शब्द ओउम का नाद होने का एक कारण यह था की ओउम केवल एक नाद ही नहीं है , बल्कि ओउम एक महाशक्ति का स्त्रोत्र है। क्योंकि किसी भी मंत्र के पहले ओउम का उच्चारण उस मंत्र की शक्ति को कई गुना शक्तिशाली बना देता है। 

भारतीयों की यह विशेषता है की यहाँ सच्चिदानंद पर भ्रम की आराधना माँ के रूप में की गयी है।  ये आराधना किसी कल्पना के आधार पर नहीं वरन यहाँ सच्चिदानंद पर भ्रम अनेको मातृरूपो में स्वयं प्रकट हुये है। परमब्रह्म की आराधना आदिशक्ति के रूप में की जाती है। 


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