श्री आदिशक्ति माताजी की लीला 


दोस्तों अब हम श्री भगवती जगदम्बिका जो कि आदिशक्ति हैं , के आशीर्वाद के फलस्वरुप एक मुर्ख  मानव भी कितना बड़ा विद्वान  बन जाता है। उस कथानक को पढ़ेंगे। 
एक समय राजा जन्मेजय ने श्री व्यास  से भगवती जगदम्बिका जी के आशीर्वादों के विषय में किसी कथा को सुनने की इच्छा  प्रकट की, जिस पर व्यास जी ने राजा  की   जिज्ञासा  को शांत करने को कहा। 
श्री  व्यास जी बोले - राजन यह पुराण प्रसंग सुनो - बहुत पहले की बात है, मुनियों के समाज में मैंने यह कथा सुनी थी।  एक बार मैं  भ्रमण करता हुआ पुण्य भूमि नैमिष्यारण्य  में पहुंच गया।  जहाँ बहुत से मुनि एकत्रित  थे।  कठोर व्रत का पालन करने वाले एवं  जीवन मुक्त सभी ब्रह्मा जी के मानसपुत्र वहां पधारे थे।  
मानस पुत्र - '' सृष्टि  के आरम्भ में मनुष्यों की उत्पत्ति उन के तपोबल के द्वारा उनके तेज से होती थी। ''
उस समय उन मुनियों के समाज में कथा प्रारम्भ हो रही थी।  उन मुनियों  में से एक जगदग्नि  मुनि ने अन्य मुनियों से पूछा - तपस्या में तत्पर रहने वाले महाभाग मुनियों ब्रह्मा , विष्णु , रूद्र, इंद्र, अग्नि , वरुण, कुवेर , पवन, तवस्ता, स्वामीकार्तिकेय , सूर्य , चद्रमा , अस्वीकुमारो,भग , पूषा तथा सभी ग्रह  इन सब में विशेष रूप से किसकी उपासना करनी चाहिए?  श्रेष्ठ मुनियों आप सब बातों के ज्ञाता है।  अतः शीघ्र बताने की कृपा करें। इस पर श्री लोमश   जी मुनि ने कहा - जगदग्नि  सुनो , सभी कल्याण कामी पुरुषों को श्री महाशक्ति की उपासना करनी चाहिए।  वे पराप्रकृति  आद्या सर्वत्र विराजमान हैं।  और सब कुछ देने वाली कल्याणमयी हैं।  वे ही देवताओं तथा ब्रह्मा आदि महानभावो की जननी हैं।  आदिप्रकृति  होने से संसार रूपी वृक्ष की वे मूल कारण हैं।  स्मरण  करने या उनके नाम का उच्चारण करने पर वे सारी  मनोकामनाओं को  पूर्ण करती हैं।  वे बहुत  ही दयामयी और ममतामयी हैं।  उनका हृदय  दया से ओत - प्रोत  है।  उपासना करने पर वे तुरंत वर देने क लिए तैयार हो जाती हैं।  मुनिवरों एक पावन कथा कहता हूँ , सुनो - एक अक्षर के उच्चारण करने से ही एक ब्राह्मण ने मोक्ष पा  लिया। 

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