
गूगल से साभार चित्र श्री नारायण बोले -(हे नारद ) राजा वैवस्वत सातवें मनु कहे गए हैं। समस्त राजाओं में मान्य तथा दिव्य आनंद का भोग करने वाले वे श्राद्धदेव भी कहे जाते हैं वे वैवस्वत मनु पराम्बा भगवती की तपस्या करके उनके अनुग्रह से मनवन्तर के अधिपति बन गए आठवें मनु भूलोक में सावर्णि नाम से विख्यात हुए पूर्व जन्म में देवी की आराधना करके तथा उनसे वरदान प्राप्त कर वे मनवन्तर के अधिपति हो गए। वे सभी राजाओं से पूजित ,धीर ,महापराक्रमी तथा देवी भक्तिपरायण थे नारदजी बोले -उन सावर्णि मनु ने पूर्वजन्म में भगवती की पार्थिव मूर्ती की किस प्रकार आराधना की थी ...