मित्रों अब तक आपने पढ़ा कि किस प्रकार राजकुमार सुदर्शन को माँ भगवती जगदम्बिका कि कृपा से सिद्धि प्राप्त हो गयी थी।
एक रात स्वप्न में विष्णुमयी पूर्ण ब्रह्मस्वरूपा भगवती जगदम्बा ने उसे अपने दर्शन भी कराये। वे अव्यक्त स्वरूपणी भगवती समस्त सम्पति प्रदान कर देती है।
शृंगवेरपुर के अध्यक्ष निषाद ने एक दिन , सुदर्शन के पास आकर उसे एक उत्तम रथ प्रदान किया। उस रथ में सभी उपयोगी सामग्री प्रस्तुत थी। वह रथ चार घोड़ों से खींचा जाता था। पताकाएं उसकी शोभा बढाती थी। राजकुमार सुदर्शन एक विजयशाली महान व्यक्ति हैं। मन में यह जानकर श्रृंगवेरपुर के अध्यक्ष ने भेंट स्वरूप में उसके पास वे रथ उपस्थित किया था। सुदर्शन ने भी प्रसन्नता पूर्वक वह रथ ले लिया। तथा मित्र रूप में निषाद राज का जंगली फल - फूलों से स्वागत भी किया। निषाद राज के चले जाने के बाद वहां उपस्थित मुनिगण प्रसन्न होकर सुदर्शन से कहने लगे - राजकुमार तुम भगवती की कृपा से एक दिन स्वतंत्र राजा अवश्य बनोगे। ये ध्रुव सत्य है। भगवती जगदम्बा वर देने में कुशल तथा संसार को मोहित करने वाली हैं। वे तुम पर प्रसन्न हैं। अब तुम्हें उत्तम सहायक भी मिल गया है।
उत्तम व्रत का पालन करने वाले मुनियों ने राजकुमार की माँ से कहा - सुमुखि अब तुम्हारा पुत्र भू -मंडल का सम्राट होकर रहेगा। तब राजकुमार की माता ने कहा- हाँ !आप लोग मन्त्रों के पूर्ण वेत्ता विद्वान हैं। आपके आशर्वाद से ही यह सब संभव हो सकता है। इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है।
व्यास जी कहते हैं - सुदर्शन को सब विद्याएं सुलभ हो गयी थी। वे रथ पर सवार होकर जहा भी जाता उसके तेज से ऐसा जान पड़ता की उस के साथ बहुत बड़ी सेना है। राजन - सुदर्शन प्रसन्नता पूर्वक नित्य बीजमंत्र का जप करता था। उसी मन्त्र के प्रभाव से उसमे इतनी शक्ति आ गयी थी। ' क्लीम ' ये कामराज कहलाने वाला बीजमंत्र बड़ा ही विलक्ष्ण है। जो पुरुष किसी अच्छे गुरु से इसकी दीक्षा लेकर शांत चित्त होकर पवित्रता पूर्वक इसका जप करता है ,उसकी सारी कामनाएं पूर्ण होती है। पृथ्वी अथवा स्वर्ग में भी कोई ऐसी वस्तु नहीं है ,जो भगवती जगदम्बा की कृपा से सुलभ न हो सके। कुरुनंदन ! जो पूर्व युग से ही देवताओं की जननी है ,वही भगवती बुद्धि , कीर्ति ,घृति , लक्ष्मी ,श्रद्धा ,शक्ति ,ज्ञान आदि रूपों में सम्पूर्ण प्राणियों का कल्याण करने के लिए ही पधारी हैं। जो मनुष्य भगवती को इन रूपों में नहीं पहचानता उसकी मति अवश्य ही माया रूप से हरी गयी है। ब्रह्मा , विष्णु , महेश ,इंद्र ,यम , कुवेर ,वायु ,अग्नि ,त्वस्टा ,पूषा ,विश्वदेव एवं मरुतगण ये सब के सब सृष्टि पालन एवं संहार करने में निपुण देवगण उन भगवती जगदम्बिका का नित ध्यान करते हैं। सभी विद्वान उन ब्रह्मस्वरूपणी का ही ध्यान करते हैं। वे सम्पूर्ण मनोरथ एवं कल्याण करने वाली देवी जगदम्बिका को हमारा बारम्बार नमस्कार है।
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