
गूगल से साभार चित्रण अश्विनी कुमारों ने सुकन्या की बात सुनकर उससे कहा - हे कल्याणी ! तुम्हारे पिता ने तुम्हें उन तपस्वी को कैसे सौंप दिया। तुम तो इतनी सुन्दर हो, की तुम्हें देवताओं के यहाँ होना चाहिए। इतनी सुन्दर स्त्रियाँ तो वहां भी नहीं हैं। तुम्हें तो दिव्य वस्त्र और सुन्दर आभूषण धारण करने चाहिए। इन वल्कल वस्त्रों में तुम सोभा नहीं पा रही हो। हे प्रिये ! विधाता ने यह कौन सा कृत्य किया है जो की तुम इस नेत्र हीन मुनि को पति रूप में प्राप्त करके इस वन में महान कष्ट भोग रही हो ? तुमने इन्हें व्यर्थ ही वरण किया। नवीन अवस्था प्राप्त करके तुम इनके साथ सोभा नहीं पा रही हो। भली - भांति लक्ष्य साध करके कामदेव के द्वारा वेग पूर्वक छोड़े गए बाण किस पर गिरेंगे। तुम्हारे पति तो इस प्रका...